मोआब को परमेश्वर का सन्देश 
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1 यह बुरा सन्देश मोआब के विषय में है। 
एक रात मोआब में स्थित आर के नगर का धन सेनाओं ने लूटा। 
उसी रात नगर को तहस नहस कर दिया गया। 
एक रात मोआब का किर नाम का नगर सेनाओं ने लूटा। 
उसी रात वह नगर तहस नहस किया गया। 
2 राजा का घराना और दिबोन के निवासी अपना दु:ख रोने को ऊँचे पर पूजास्थलों में चले गये। 
मोआब के निवासी नबो और मेदबा के लिये रोते हैं। 
उन सभी लोगों ने अपनी दाढ़ी और सिर अपना शोक दर्शाने के लिये मुड़ाये थे। 
3 मोआब में सब कहीं घरों और गलियों में, 
लोग शोक वस्त्र पहनकर हाय हाय करते हैं। 
4 हेशबोन और एलाले नगरों के निवासी बहुत ऊँचे स्वर में विलाप कर रहे हैं। 
बहुत दूर यहस की नगरी तक वह विलाप सुना जा सकता है। 
यहाँ तक कि सैनिक भी डर गये हैं। वे सैनिक भय से काँप रहे हैं। 
5 मेरा मन दु:ख से मोआब के लिये रोता है। 
लोग कहीं शरण पाने को दौड़ रहे हैं। 
वे सुदूर जोआर में जाने को भाग रहे हैं। 
लोग दूर के देश एग्लतशलीशिय्या को भाग रहे हैं। 
लोग लूहीत की पहाड़ी चढ़ाई पर रोते बिलखाते हुए भाग रहे हैं। 
लोग होरोनैम के मार्ग पर और वे बहुत ऊँचे स्वर में रोते बिलखते हुए जा रहे हैं। 
6 किन्तु निम्रीम का नाला ऐसे सूख गया जैसे रेगिस्तान सूखा होता है। 
वहाँ सभी वृक्ष सूख गये। 
कुछ भी हरा नहीं हैं। 
7 सो लोग जो कुछ उनके पास है उसे इकट्ठा करते हैं, 
और मोआब को छोड़ते हैं। 
उन वस्तुओं को लेकर वे नाले (पाप्लर या अराबा) से सीमा पार कर रहे हैं। 
8 मोआब में हर कहीं विलाप ही सुनाई देता है। 
दूर के नगर एगलैम में लोग बिलख रहे हैं। 
बेरेलीम नगर के लोग विलाप कर रहे हैं। 
9 दीमोन नगर का जल खून से भर गया है, 
और मैं (यहोवा) दीमोन पर अभी और विपत्तियाँ ढाऊँगा। 
मोआब के कुछ निवासी शत्रु से बच गये हैं। 
किन्तु उन लोगों को खा जाने को मैं सिंहों को भेजूँगा। 
