परमेश्वर का बाबुल को सन्देश 
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1 सागर के मरुप्रदेश के बारे में दु:खद सन्देश। 
मरुप्रदेश से कुछ आने वाला है। 
यह नेगव से आती हवा जैसा आ रही है। 
यह किसी भयानक देश से आ रही है। 
2 मैंने कुछ देखा है जो बहुत ही भयानक है और घटने ही वाला है। 
मुझे गद्दार तुझे धोखा देते हुए दिखते हैं। 
मैं लोगों को तुम्हारा धन छीनते हुए देखता हूँ। 
एलाम, तुम जाओ और लोगों से युद्ध करो! 
मादै, तुम अपनी सेनाएँ लेकर नगर को घेर लो तथा उसको पराजित करो! 
मैं उस बुराई का अन्त करुँगा जो उस नगर में है। 
3 मैंने यें भयानक बातें देखी और अब मैं बहुत डर गया हूँ। 
डर के मारे पेट में दर्द हो रहा है। 
यह दर्द प्रसव की पीड़ा जैसा है। 
जो बातें मैं सुनता हूँ, वे मुझे बहुत डराती है। 
जो बातें मैं देख रहा हूँ, उनके कारण मैं भय के मारे काँपने लगता हूँ। 
4 मैं चिन्तित हूँ और भय से थर—थर काँप रहा हूँ। 
मेरी सुहावनी शाम भय की रात बन गयी है। 
5 लोग सोचते हैं, सब कुछ ठीक है। 
लोग कहते हैं, 
“चौकी तैयारी करो और उस पर आसन बिछाओ, खाओ, पिओ!” 
किन्तु मेरा कहना है, “मुखियाओं! खड़े होओ और युद्ध की तैयारी करो।” 
उसी समय सैनिक कह रहे हैं, “पहरेदारों को तैनात करो! 
अधिकारियों, खड़े हो जाओ और अपनी ढालों को झलकाओ!” 
6 मेरे स्वामी ने मुझे ये बातें बतायी हैं, “जा और नगर की रक्षा के लिए किसी व्यक्ति को ढूँढ। 
7 यदि वह रखवाला घुड़सवारों की, गधों की अथवा ऊँटों की पंक्तियों को देखें तो उसे सावधानी के साथ सुनना चाहिये।” 
8 सो फिर वह पहरेदार जोर से बोला पहरेदार ने कहा, 
“मेरे स्वामी, मैं हर दिन चौकीदारी के बुर्ज पर चौकीदारी करता आया हूँ। 
हर रात मैं खड़ा हुआ पहरा देता रहा हूँ। किन्तु… 
9 देखो! वे आ रहे हैं! 
मुझे घुड़सवारों की पंक्तियाँ दिखाई दे रही हैं।” 
फिर सन्देशवाहक ने कहा, 
“बाबुल पराजित हुआ, 
बाबुल धरती पर ध्वस्त किया गया। 
उसके मिथ्या देवों की सभी मूर्तियाँ 
धरती पर लुढ़का दी गई और वे चकनाचूर हो गई हैं।” 
10 यशायाह ने कहा, “हे खलिहान में अनाज की तरह रौंदे गए मेरे लोगों, मैंने सर्वशक्तिमान यहोवा, इस्राएल के परमेश्वर से जो कुछ सुना है, सब तुम्हें बता दिया है।” 
एदोम को परमेश्वर का सन्देश 
11 दूमा के लिये दु:खद सन्देश: 
सेईर से मुझको किसी ने पुकारा। 
उसने मुझ से कहा, “हे पहरेदार, रात अभी कितनी शेष बची है 
अभी और कितनी देर यह रात रहेगी!” 
12 पहरेदार ने कहा, 
“भोर होने को है किन्तु रात फिर से आयेगी। 
यदि तुझे कोई बात पूछनी है तो 
लौट आ और मुझसे पूछ ले।” 
अरब के लिये परमेश्वर का सन्देश 
13 अरब के लिये दु:खद सन्देश। 
हे ददानी के काफिले, 
तू रात अरब के मरुभूमि में कुछ वृक्षों के पास गुजार ले। 
14 कुछ प्यासे यात्रियों को पीने को पानी दो। 
तेमा के लोगों, उन लोगों को भोजन दो जो यात्रा कर रहे हैं। 
15 वे लोग ऐसी तलवारों से भाग रहे थे 
जो उनको मारने को तत्पर थे। 
वे लोग उन धनुषों से बचकर भाग रहे थे 
जो उन पर छूटने के लिये तने हुए थे। 
वे भीषण लड़ाई से भाग रहे थे। 
16 मेरे स्वामी यहोवा ने मुझे बताया था कि ऐसी बातें घटेंगी। यहोवा ने कहा था, “एक वर्ष में (एक ऐसा ढँग जिससे मजदूर किराये का समय को गिनता है।) केदार का वैभव नष्ट होजायेगा। 
17 उस समय केदार के थोड़े से धनुषधारी, प्रतापी सैनिक ही जीवित बच पायेंगे।” इस्राएल के परमेश्वर यहोवा ने मुझे ये बातें बताई थीं। 
