यहोवा सृजनहार है: वह अमर है 
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1 यहोवा कहा करता है, 
“सुदूरवर्ती देशों, चुप रहो और मेरे पास आओ! 
जातियों, फिर से सुदृढ़ बनों। 
मेरे पास आओ और मुझसे बातें करो। 
आपस में मिल कर हम 
निश्चय करें कि उचित क्या है। 
2 किसने उस विजेता को जगाया है, जो पूर्व से आयेगा 
कौन उससे दूसरे देशों को हरवाता और राजाओं को अधीन कर देता 
कौन उसकी तलवारों को इतना बढ़ा देता है 
कि वे इतनी असंख्य हो जाती जितनी रेत—कण होते हैं 
कौन उसके धनुषों को इतना असंख्य कर देता जितना भूसे के छिलके होते हैं 
3 यह व्यक्ति पीछा करेगा और उन राष्ट्रों का पीछा बिना हानि उठाये करता रहेगा 
और ऐसे उन स्थानों तक जायेगा जहाँ वह पहले कभी गया ही नहीं। 
4 कौन ये सब घटित करता है किसने यह किया 
किसने आदि से सब लोगों को बुलाया मैं यहोवा ने इन सब बातों को किया! 
मैं यहोवा ही सबसे पहला हूँ। 
आदि के भी पहले से मेरा अस्तित्व रहा है, 
और जब सब कुछ चला जायेगा तो भी मैं यहाँ रहूँगा। 
5 सुदूरवर्ती देश इसको देखें 
और भयभीत हों। 
दूर धरती के छोर के लोग 
फिर आपस में एक जुट होकर 
भय से काँप उठें! 
6 “एक दूसरे की सहायता करेंगें। देखो! अब वे अपनी शक्ति बढ़ाने के लिए एक दूसरे की हिम्मत बढ़ा रहे हैं। 
7 मूर्ति बनानें के लिए एक कारीगर लकड़ी काट रहा है। फिर वह व्यक्ति सुनार को उत्साहित कर रहा है। एक कारीगर हथौड़ें से धातु का पतरा बना रहा है। फिर वह कारीगर निहायी पर काम करनेवाले व्यक्ति को प्रेरित कर रहा है। यह अखिरी कारीगर कह रहा है, काम अच्छा है किन्तु यह धातु पिंड कहीं उखड़ न जाये। इसलिए इस मूर्ति को आधार पर कील से जड़ दों! उससे मूर्ति गिरेगी नहीं, वह कभी हिलडुल तक नहीं पायेगो।” 
यहोवा ही हमारी रक्षा कर सकता है 
8 यहोवा कहता है: “किन्तु तू इस्राएल, मेरा सेवक है। 
याकूब, मैंने तुझ को चुना है 
तू मेरे मित्र इब्राहीम का वंशज है। 
9 मैंने तुझे धरती के दूर देशों से उठाया। 
मैंने तुम्हें उस दूर देश से बुलाया। 
मैंने कहा, ‘तू मेरा सेवक है।’ 
मैंने तुझे चुना है 
और मैंने तुझे कभी नहीं तजा है। 
10 तू चिंता मत कर, मैं तेरे साथ हूँ। 
तू भयभीत मत हो, मैं तेरा परमेश्वर हूँ। 
मैं तुझे सुदृढ़ करुँगा। 
मैं तुझे अपने नेकी के दाहिने हाथ से सहारा दूँगा। 
11 देख, कुछ लोग तुझ से नाराज हैं किन्तु वे लजायेंगे। 
जो तेरे शत्रु हैं वे नहीं रहेंगे, वे सब खो जायेंगे। 
12 तू ऐसे उन लोगों की खोज करेगा जो तेरे विरुद्ध थे। 
किन्तु तू उनको नहीं पायेगा। 
वे लोग जो तुझ से लड़े थे, पूरी तरह लुप्त हो जायेंगे। 
13 मैं तेरा परमेश्वर यहोवा हूँ। 
मैंने तेरा सीधा हाथ थाम रखा है। 
मैं तुझ से कहता हूँ कि मत डर! मैं तुझे सहारा दूँगा। 
14 मूल्यवान यहूदा, तू निर्भय रह! हे मेरे प्रिय इस्राएल के लोगों। 
भयभीत मत रहो।” 
सचमुच मैं तुझको सहायता दूँगा। 
स्वयं यहोवा ही ने यें बातें कहीं थी। 
इस्राएल के पवित्र (परमेश्वर) ने 
जो तुम्हारी रक्षा करता है, कहा था: 
15 देख, मैंने तुझे एक नये दाँवने के यन्त्र सा बनाया है। 
इस यन्त्र में बहुत से दाँते हैं जो बहुत तीखे हैं। 
किसान इसको अनाज के छिलके उतारने के काम में लाते है। 
तू पर्वतों को पैरों तले मसलेगा और उनको धूल में मिला देगा। 
तू पर्वतों को ऐसा कर देगा जैसे भूसा होता है। 
16 तू उनको हवा में उछालेगा और हवा उनको उड़ा कर दूर ले जायेगी और उन्हें कहीं छितरा देगी। 
तब तू यहोवा में स्थित हो कर आनन्दित होगा। 
तुझको इस्राएल के पवित्र (परमेश्वर) पर पहुत गर्व होगा। 
17 गरीब जन, और जरुरत मंद जल ढूँढ़ते हैं किन्तु उन्हें जल नहीं मिलता है। 
वे प्यासे हैं और उनकी जीभ सूखी है। मैं उनकी विनतियों का उत्तर दूँगा। 
मैं उनको न ही तजूँगा और न ही मरने दूँगा। 
18 मैं सूखे पहाड़ों पर नदियाँ बहा दूँगा। 
घाटियों में से मैं जलस्रोत बहा दूँगा। 
मैं रेगिस्तान को जल से भरी झील में बदल दूँगा। 
उस सूखी धरती पर पानी के सोते मिलेंगे। 
19 मरुभूमि में देवदार के, कीकार के, जैतून के, सनावर के, तिघारे के, चीड़ के पेड़ उगेंगे! 
20 लोग ऐसा होते हुए देखेंगे और वे जानेंगे कि 
यहोवा की शक्ति ने यह सब किया है। 
लोग इनको देखेंगे और समझना शुरु करेंगे कि 
इस्राएल के पवित्र (परमेश्वर) ने यह बातें की हैं।” 
यहोवा की झूठे देवताओं को चेतावनी 
21 याकूब का राजा यहोवा कहता है, “आ, और मुझे अपनी युक्तियाँ दे। अपना प्रमाण मुझे दिखा और फिर हम यह निश्चय करेंगे कि उचित बातें क्या हैं 
22 तुम्हारे मूर्तियों को हमारे पास आकर, जो घट रहा है, वह बताना चाहिये। “प्रारम्भ में क्या कुछ घटा था और भविष्य में क्या घटने वाला है। हमें बताओं हम बड़े ध्यान से सुनेंगे। जिससे हम यह जान जायें कि आगे क्या होने वाला है। 
23 हमें उन बातों को बताओ जो घटनेवाली हैं। जिन्हें जानने का हमें इन्तज़ार है ताकि हम विश्वास करें कि सममुच तुम देवता हो। कुछ करो! कुछ भी करो। चाहे भला चाहे बुरा ताकि हम देख सकें और जान सके कि तुम जीवित हो और तुम्हारा अनुसरण करें। 
24 “देखो झूठे देवताओं, तुम बेकार से भी ज्यादा बेकार हो! तुम कुछ भी तो नहीं कर सकते। केवल बेकार के भ्रष्ट लोग ही तुम्हें पूजना चाहते हैं!” 
बस यहोवा ही परमेश्वर है 
25 “उत्तर में मैंने एक व्यक्ति को उठाया है। 
वह पूर्व से जहाँ सूर्य उगा करता है, आ रहा है। 
वह मेरे नाम की उपासना किया करता है। 
जैसे कुम्हार मिट्टी रौंदा करता है वैसे ही वह विशेष व्यक्ति राजाओं को रौंदेगा।” 
26 “यह सब घटने से पहले ही हमें जिसने बताया है, हमें उसे परमेश्वर कहना चाहिए। 
क्या हमें ये बातें तुम्हारे किसी मूर्ति ने बतायी नहीं! 
किसी भी मूर्ति ने कुछ भी हमको नहीं बताया था। 
वे मूर्ति तो एक भी शब्द नहीं बोल पाते हैं। 
वे झूठे देवता एक भी शब्द जो तुम बोला करते हो नहीं सुन पाते हैं। 
27 मैं यहोवा सिय्योन को इन बातों के विषय में बताने वाला पहला था। 
मैंने एक दूत को इस सन्देश के साथ यरूशलेम भेजा था कि: ‘देखो, तुम्हारे लोग वापस आ रहे हैं!’” 
28 मैंने उन झूठे देवों को देखा था, उनमें से कोई भी इतना बुद्धिमान नहीं था जो कुछ कह सके। 
मैंने उनसे प्रश्न पूछे थे वे एक भी शब्द नहीं बोल पाये थे। 
29 वे सभी देवता बिल्कुल ही व्यर्थ हैं! 
वे कुछ नहीं कर पाते वे पूरी तरह मूल्यहीन हैं! 
