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1 यदि तू आकाश चीर कर धरती पर नीचे उतर आये 
तो सब कुछ ही बदल जाये। 
तेरे सामने पर्वत पिघल जाये। 
2 पहाड़ों में लपेट उठेंगी। 
वे ऐसे जलेंगे जैसे झाड़ियाँ जलती हैं। 
पहाड़ ऐसे उबलेंगे जैसे उबलता पानी आग पर रखा गया हो। 
तब तेरे शत्रु तेरे बारे में समझेंगे। 
जब सभी जातियाँ तुझको देखेंगी तब वे भय से थर—थर काँपेंगी। 
3 किन्तु हम सचमुच नहीं चाहते हैं 
कि तू ऐसे कामों को करे कि तेरे सामने पहाड़ पिघल जायें। 
4 सचमुच तेरे ही लोगों ने तेरी कभी नहीं सुनी। 
जो कुछ भी तूने बात कही सचमुच तेरे ही लोगों ने उन्हें कभी नहीं सुना। 
तेरे जैसा परमेश्वर किसी ने भी नहीं देखा। 
कोई भी अन्य परमेश्वर नहीं, बस केवल तू है। 
यदि लोग धीरज धर कर तेरे सहारे की बाट जोहते रहें, तो तू उनके लिये बड़े काम कर देगा। 
5 जिनको अच्छे काम करने में रस आता है, तू उन लोगों के साथ है। 
वे लोग तेरे जीवन की रीति को याद करते हैं। 
पर देखो, बीते दिनों में हमने तेरे विरूद्ध पाप किये हैं। 
इसलिये तू हमसे क्रोधित हो गया था। 
अब भला कैसे हमारी रक्षा होगी 
6 हम सभी पाप से मैले हैं। 
हमारी सब नेकी पुराने गन्दे कपड़ों सी है। 
हम सूखे मुरझाये पत्तों से हैं। 
हमारे पापों ने हमें आँधी सा उड़ाया है। 
7 हम तेरी उपासना नहीं करते हैं। हम को तेरे नाम में विश्वास नहीं है। 
हम में से कोई तेरा अनुसरण करने को उत्साही नहीं है। 
इसलिये तूने हमसे मुख मोड़ लिया है। 
क्योंकि हम पाप से भरे हैं इसलिये तेरे सामने हम असमर्थ हैं। 
8 किन्तु यहोवा, तू हमारा पिता है। 
हम मिट्टी के लौंदे हैं और तू कुम्हार है। 
तेरे ही हाथों ने हम सबको रचा है। 
9 हे यहोवा, तू हमसे कुपित मत बना रह! 
तू हमारे पापों को सदा ही याद मत रख! 
कृपा करके तू हमारी ओर देख! हम तेरे ही लोग हैं। 
10 तेरी पवित्र नगरियाँ उजड़ी हुई हैं। 
आज वे नगरियाँ ऐसी हो गई हैं जैसे रेगिस्तान हों। 
सिय्योन रेगिस्तान हो गया है! यरूशलेम ढह गया है! 
11 हमारा पवित्र मन्दिर आग से भस्म हुआ है। 
वह मन्दिर हमारे लिये बहुत ही महान था। 
हमारे पूर्वज वहाँ तेरी उपासना करते थे। 
वे सभी उत्तम वस्तु जिनके हम स्वामी थे, अब बर्बाद हो गई हैं। 
12 क्या ये वस्तुएँ सदैव तुझे अपना प्रेम हम पर प्रकट करने से दूर रखेंगी 
क्या तू कभी कुछ नहीं कहेगा क्या तू ऐसे ही चुप रह जायेगा 
क्या तू सदा हम को दण्ड देता रहेगा 
