यहोवा परमेश्वर की शिकायत 
6
1 जो यहोवा कहता है, उस पर तुम कान दो। 
“तुम पहाड़ों के सामने खड़े हो जाओ और फिर उनको कथा का अपना पक्ष सुनाओ, 
पहाड़ों को तुम अपनी कहानी सुनाओ। 
2 यहोवा को अपने लोगों से एक शिकायत है। 
पर्वतों, तुम यहोवा की शिकायत को सुनो। 
धरती की नीवों, यहोवा की शिकायत को सुनो। 
वह प्रमाणित करेगा कि इस्राएल दोषी हैं!” 
3 यहोवा कहता है: “हे मेरे लोगों, क्या मैंने कभी तुम्हारा कोई बुरा किया है? 
मैंने कैसे तुम्हारा जीवन कठिन किया है? 
मुझे बताओ, मैंने तुम्हारे साथ क्या किया है? 
4 मैं तुमको बताता हूँ जो मैंने तुम्हारे साथ किया है, 
मैं तुम्हें मिस्र की धरती से निकाल लाया, 
मैंने तुम्हें दासता से मुक्ति दिलायी थी। 
मैंने तुम्हारे पास मूसा, हारून और मरियम को भेजा था। 
5 हे मेरे लोगों, मोआब के राजा बालाक के कुचक्र याद करो। 
वे बातें याद करो जो बोर के पुत्र बिलाम ने बालाक से कहीं थी। 
वे बातें याद करो जो शित्तीम से गिल्गाल तक घटी थी। 
तभी समझ पाओगे की यहोवा उचित है!” 
परमेश्वर हम से क्या चाहता है 
6 जब मैं यहोवा के सामने जाऊँ और प्रणाम करूँ, 
तो परमेश्वर के सामने अपने साथ क्या लेकर के जाऊँ 
क्या यहोवा के सामने 
एक वर्ष के बछड़े की होमबलि लेकर के जाऊँ 
7 क्या यहोवा एक हजार मेढ़ों से 
अथवा दासियों हजार तेल की धारों से प्रसन्न होगा? 
क्या अपने पाप के बदले में मुझको 
अपनी प्रथम संतान जो अपनी शरीर से उपजी हैं, अर्पित करनी चाहिये? 
8 हे मनुष्य, यहोवा ने तुझे वह बातें बतायीं हैं जो उत्तम हैं। 
ये वे बातें हैं, जिनकी यहोवा को तुझ से अपेक्षा है। 
ये वे बातें हैं—तू दुसरे लोगों के साथ में सच्चा रह; 
तू दूसरों से दया के साथ प्रेम कर, 
और अपने जीवन नम्रता से परमेश्वर के प्रति बिना उपहारों से तुम उसे प्रभावित करने का जतन मत करो। 
इस्राएल के लोग क्या कर रहे थे 
9 यहोवा की वाणी यरूशलेम नगर को पुकार रही है। 
बुद्धिमान व्यक्ति यहोवा के नाम को मान देता हैं। 
इसलिए सजा के राजदण्ड पर ध्यान दे और उस पर ध्यान दे, जिसके पास राजदण्ड है! 
10 क्या अब भी दुष्ट अपने चुराये खजाने को 
छिपा रहे हैं? 
क्या दुष्ट अब भी लोगों को 
उन टोकरियों से छला करते हैं 
जो बहुत छोटी हैं (यहोवा इस प्रकार से लोगों को छले जाने से घृणा करता है!) 
11 क्या मैं उन ऐसे बुरे लोगों को नजर अंदाज कर दूँ जो अब भी खोटे बाँट और खोटी तराजू लोगों को ठगने के काम में लाते हैं? 
क्या मैं उन ऐसे बुरे लोगों को नजर अंदाज कर दूँ, जो अब भी ऐसी गलत बोरियाँ रखते हैं? 
जिनके भार से गलत तौल दी जाती है? 
12 उस नगर के धनी पुरूष अभी भी क्रूर कर्म करते हैं! 
उस नगर के निवासी अभी भी झूठ बोला करते हैं। 
हाँ, वे लोग मनगढ़ंत झूठों को बोला करते हैं! 
13 सो मैंने तुम्हें दण्ड देना शुरू कर दिया है। 
मैं तुम्हें तुम्हारे पापों के लिये नष्ट कर दूँगा। 
14 तुम खाना खाओगे किन्तु तुम्हारा पेट नहीं भरेगा। 
तुम फिर भी भूखे रहोगे। 
तुम लोगों को बचाओगे, उन्हें सुरक्षित घऱ ले आने को 
किन्तु तुम जिसे भी बचाओगे, मैं उसे तलवार के घाट उतार दूँगा! 
15 तुम अपने बीज बोओगे 
किन्तु तुम उनसे भोजन नहीं प्राप्त करोगे। 
तुम घानी में पेर कर अपने जैतून का तेल निचोड़ोगे 
किन्तु तुम्हें उतना भी तेल नहीं मिलेगा जो अर्घ्य देने को प्रयाप्त हो। 
तुम अपने अंगूरों को खूंद कर निचोड़ोगे 
किन्तु तुमको वह दाखमधु पीने को काफी नहीं होगा। 
16 ऐसा क्यों होगा? क्योंकि तुम ओम्री के नियमों पर चलते हो। 
तुम उन बुरी बातों को करते हो जिनको आहाब का परिवार करता था। 
तुम उनकी शिक्षाओं पर चला करते हो 
इसलिये मैं तुम्हें नष्ट भ्रष्ट कर दूँगा। 
तुम्हारे नगर के लोग हँसी के पात्र बनेंगे। 
तुम्हें अन्य राज्यों की घृणा झेलनी होगी। 
