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मन्दिर का आरोहण गीत। 
1 मैं संकट में पड़ा था, सहारा पाने के लिए 
मैंने यहोवा को पुकारा 
और उसने मुझे बचा लिया। 
2 हे यहोवा, मुझे तू उन ऐसे लोगों से बचा ले 
जिन्होंने मेरे विषय में झूठ बोला है। 
3 अरे ओ झूठों, क्या तुम यह जानते हो 
कि परमेश्वर तुमको कैसे दण्ड देगा 
4 तुम्हें दण्ड देने के लिए परमेश्वर योद्धा के नुकीले तीर और धधकते हुए अंगारे काम में लाएगा। 
5 झूठों, तुम्हारे निकट रहना ऐसा है, जैसे कि मेशेक के देश में रहना। 
यह रहना ऐसा है जैसे केवार के खेतों में रहना है। 
6 जो शांति के बैरी है ऐसे लोगों के संग मैं बहुत दिन रहा हूँ। 
7 मैंने यह कहा था मुझे शांति चाहिए क्यों वे लोग युद्ध को चाहते हैं। 
