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दाऊद को समर्पित। 
1 यहोवा मेरी चट्टान है। 
यहोवा को धन्य कहो! 
यहोवा मुझको लड़ाई के लिये प्रशिक्षित करता है। 
यहोवा मुझको युद्ध के लिये प्रशिक्षित करता है। 
2 यहोवा मुझसे प्रेम रखता है और मेरी रक्षा करता है। 
यहोवा पर्वत के ऊपर, मेरा ऊँचा सुरक्षा स्थान है। 
यहोवा मुझको बचा लाता है। 
यहोवा मेरी ढाल है। 
मैं उसके भरोसे हूँ। 
यहोवा मेरे लोगों का शासन करने में मेरा सहायक है। 
3 हे यहोवा, तेरे लिये लोग क्यों महत्वपूर्ण बने हैं 
तू हम पर क्यों ध्यान देता है 
4 मनुष्य का जीवन एक फूँक के समान होता है। 
मनुष्य का जीवन ढलती हुई छाया सा होता है। 
5 हे यहोवा, तू अम्बर को चीर कर नीचे उतर आ। 
तू पर्वतो को छू ले कि उनसे धुँआ उठने लगे। 
6 हे यहोवा, बिजलियाँ भेज दे और मेरे शत्रुओं को कही दूर भगा दे। 
अपने बाणों को चला और उन्हें विवश कर कि वे कहीं भाग जायें। 
7 हे यहोवा, अम्बर से नीचे उतर आ और मुझ को उबार ले। 
इन, शत्रुओं के सागर में मुझे मत डूबने दे। 
मुझको इन परायों से बचा ले। 
8 ये शत्रु झूठे हैं। ये बात ऐसी बनाते हैं 
जो सच नहीं होती है। 
9 हे यहोवा, मैं नया गीत गाऊँगा तेरे उन अद्भुत कर्मो का तू जिन्हें करता है। 
मैं तेरा यश दस तार वाली वीणा पर गाऊँगा। 
10 हे यहोवा, राजाओं की सहायता उनके युद्ध जीतने में करता है। 
यहोवा वे अपने सेवक दाऊद को उसके शत्रुओं के तलवारों से बचाया। 
11 मुझको इन परदेशियों से बचा ले। 
ये शत्रु झूठे हैं, 
ये बातें बनाते हैं जो सच नहीं होती। 
12 यह मेरी कामना है: पुत्र जवान हो कर विशाल पेड़ों जैसे मजबूत हों। 
और मेरी यह कामनाहै हमारी पुत्रियाँ महल की सुन्दर सजावटों सी हों। 
13 यह मेरी कामना है 
कि हमारे खेत हर प्रकार की फसलों से भरपूर रहें। 
यह मेरी कामना है 
कि हमारी भेड़े चारागाहों में 
हजारों हजार मेमने जनती रहे। 
14 मेरी यह कामना है कि हमारे पशुओं के बहुत से बच्चे हों। 
यह मेरी कामना है कि हम पर आक्रमण करने कोई शत्रु नहीं आए। 
यह मेरी कामना है कभी हम युद्ध को नहीं आएं। 
और मेरी यह कामना है कि हमारी गलियों में भय की चीखें नहीं उठें। 
15 जब ऐसा होगा लोग अति प्रसन्न होंगे। 
जिनका परमेश्वर यहोवा है, वे लोग अति प्रसन्न रहते हैं। 
