हन्ना धन्यवाद देती है 
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1 हन्ना ने कहा: 
“यहोवा, में, मेरा हृदय प्रसन्न है! 
मैं अपने परमेश्वर में शक्तिमती* अनुभव करती हूँ! 
मैं अपनी विजय से पूर्ण प्रसन्न हूँ! 
और अपने शत्रुओं की हँसी उड़ाई हूँ। 
2 यहोवा के सदृश कोई पवित्र परमेश्वर नहीं। 
तेरे अतिरिक्त कोई परमेश्वर नहीं! 
परमेश्वर के अतिरिक्त कोई आश्रय शिला† नहीं। 
3 बन्द करो डींगों का हाँकाना! 
घमण्ड भरी बातें न करो! क्यों? 
क्योंकि यहोवा परमेश्वर सब कुछ जानता है, 
परमेश्वर लोगों को राह दिखाता है और उनका न्याय करता है। 
4 शक्तिशाली योद्धाओं के धनुष टूटते हैं! 
और दुर्बल शक्तिशाली बनते हैं! 
5 जो लोग बीते समय में बहुत भोजन वाले थे, 
उन्हें अब भोजन पाने के लिये काम करना होगा। 
किन्तु जो बीते समय में भूखे थे, 
वे अब भोजन पाकर मोटे हो रहे हैं! 
जो स्त्री बच्चा उत्पन्न नहीं कर सकती थी 
अब सात ब्च्चो वाली है! 
किन्तु जो बहुत बच्चों वाली थी, 
दु:खी है क्योंकि उसके बच्चे चले गये। 
6 यहोवा लोगों को मृत्यु देता है, 
और वह उन्हें जीवित रहने देता है। 
यहोवा लोगों को मृत्युस्थल व अधोलोक को पहुँचाता है, 
और पुन: वह उन्हें जीवन देकर उठाता है। 
7 यहोवा लोगों को दीन बनाता है, 
और यहोवा ही लोगों को धनी बनाता है। 
यहोवा लोगों को नीचा करता है, 
और वह लोगों को ऊँचा उठाता है। 
8 यहोवा कंगालों को धूलि से उठाता है। 
यहोवा उनके दुःख को दूर करता है। 
यहोवा कंगालों को राजाओं के साथ बिठाता है। 
यहोवा कंगालों को प्रतिष्ठित सिंहासन पर बिठाता है। 
पूरा जगत अपनी नींव तक यहोवा का है! 
यहोवा जगत को उन खम्भों पर टिकाया है! 
9 यहोवा अपने पवित्र लोगों की रक्षा करता है। 
वह उन्हें ठोकर खाकर गिरने से बचाता है। 
किन्तु पापी लोग नष्ट किये जाएंगे। 
वे घोर अंधेरे में गिरेंगे। 
उनकी शक्ति उन्हें विजय प्राप्त करने में सहायक नहीं होगी। 
10 यहोवा अपने शत्रुओं को नष्ट करता है। 
सर्वोच्च परमेश्वर लोगों के विरुद्ध गगन में गरजेगा। 
यहोवा सारी पृथ्वी का न्याय करेगा। 
यहोवा अपने राजा को शक्ति देगा। 
वह अपने अभीषिक्त राजा को शक्तिशाली बनायेगा।” 
11 एल्काना और उसका परिवार अपने घर रामा को गया। लड़का शीलो में रह गया और याजक एली के अधीन यहोवा की सेवा करता रहा। 
एली के बुरे पुत्र 
12 एली के पुत्र बुरे व्यक्ति थे। वे यहोवा की परवाह नहीं करते थे। 
13 वे इसकी परवाह नहीं करते थे कि याजकों से लोगों के प्रति कैसे व्यवहार की आशा की जाती है। याजकों को लोगों के लिये यह करना चाहिए: जब कभी कोई व्यक्ति बलि—भेंट लाये, तो याजक को एक बर्तन मे माँस को उबालना चाहिये। याजक के सेवक को अपने हाथ में विशेष काँटा जिसके तीन नोंक हैं, लेकर आना चाहिए। 
14 याजक के सेवक को काँटे को बर्तन या पतीले मे डालना चाहिए। काँटें से जो कुछ बर्तन के बाहर लाये वह माँस याजक का होगा। यह याजकों द्वारा उन इस्राएलियों के लिये किया जाना चाहिये जो शीलो मे बलि भेंट करने आयें। 
15 किन्तु एली के पुत्रों ने यह नहीं किया। चर्बी को वेदी पर जलाये जाने के पहले ही उनके सेवक लोगों के पास बलि—भेंट करते जाते थे। याजक के सेवक कहा करते थे, “याजक को कुछ माँस भूनने के लिये दो। याजक तुमसे उबला हुआ माँस नहीं लेंगे।” 
16 बलि—भेंट करने वाला व्यक्ति यह कह सकता था, “पहले चर्बी जलाओ,‡ तब तुम जो चाहो ले सकते हो।” यदि ऐसा होता तो याजक का सेवक उत्तर देता: “नहीं, मुझे अभी माँस दो, यदि तुम मुझे यह नहीं देते हो तो मैं इसे तुमसे ले ही लूँगा।” 
17 इस प्रकार, होप्नी और पीनहास यह दिखाते थे कि वे यहोवा को भेंट की गई बलि के प्रति श्रद्धा नहीं रखते थे। यह यहोवा के विरुद्ध बहुत बुरा पाप था! 
18 किन्तु शमूएल यहोवा की सेवा करता था। शमूएल सन का बना एक विशेष एपोद पहनता था। 
19 हर वर्ष शमूएल की माँ एक छोटा चोंगा शमूएल के लिये बनाती थी। वह हर वर्ष जब अपने पति के साथ बलि—भेंट करने शीलो जाती थी तो वह छोटा चोंगा शमूएल के लिये ले जाती थी। 
20 एली, एल्काना और उसकी पत्नी को आशीर्वाद देता था। एली ने कहा, “यहोवा तुम्हें हन्ना द्वारा सन्तान देकर बदला दे। ये बच्चे उस लड़के का स्थान लेंगे जिसके लिये हन्ना ने प्रार्थना की थी और यहोवा को दिया था।” 
तब एल्काना और हन्ना घर लौटे, और 
21 यहोवा ने हन्ना पर दया की। उसके तीन पुत्र और दो पुत्रियाँ हुई और लड़का शमूएल यहोवा के पास बड़ा हुआ। 
एली अपने पापी पुत्रों पर नियन्त्रण करने में असफल 
22 एली बहुत बूढ़ा था। वह बार बार उन बुरे कामों के बारे में सुनता था जो उसके पुत्र शीलो में सभी इस्राएलियों के साथ कर रहे थे। एली ने यह भी सुना कि जो स्त्रियाँ मिलापवाले तुम्बू के द्वार पर सेवा करती थी, उनके साथ वे सोते थे। 
23 एली ने अपने पुत्रों से कहा, “तुमने जो कुछ बुरा किया है उसके बारे में लोगों ने यहाँ मुझे बताया है। तुम लोग ये बुरे काम क्यों करते हो? 
24 पुत्रों, इन बुरे कामों को मत करो। यहोवा के लोग तुम्हारे विषय में बुरी बाते कह रहे हैं। 
25 यदि कोई व्यक्ति किसी अन्य व्यक्ति के विरुद्ध पाप करता है, तो परमेश्वर उसकी मध्यस्थता कर सकता है। किन्तु यदि कोई व्यक्ति यहोवा के ही विरुद्ध पाप करता है तो उस व्यक्ति की मध्यस्थता कौन कर सकता है?” 
किन्तु एली के पुत्रों ने एली की बात सुनने से इन्कार कर दिया। इसलिए यहोवा ने एली के पुत्रों को मार डालने का निश्चय किया। 
26 बालक शमूएल बढ़ता रहा। उसने परमेश्वर और लोगों को प्रसन्न किया। 
एली के पिरवार के विषय में भंयकर भविष्यवाणी 
27 परमेश्वर का एक व्यक्ति एली के पास आया। उसने कहा, “यहोवा यह बात कहता है, ‘तुम्हारे पूर्वज फिरौन के परिवार के गुलाम थे। किन्तु मैं तुम्हारे पूर्वजों के सामने उस समय प्रकट हुआ। 
28 मैंने तुम्हारे परिवार समूह को इस्राएल के सभी परिवार समूहों में से चुना। मैंने तुम्हारे परिवार समूह को अपना याजक बनने के लिये चुना। मैंने उन्हें अपनी वेदी पर बलि—भेंट करने के लिये चुना। मैंने उन्हें सुगन्ध जलाने और एपोद पहनने के लिये चुना। मैंने तुम्हारे परिवार समूह को बलि—भेंट से वह माँस भी लेने दिया जो इस्राएल के लोग मुझको चढ़ाते हैं। 
29 इसलिए तुम उन बलि—भेंटों और अन्नबलियों का सम्मान क्यों नहीं करते। तुम अपने पुत्रों को मुझसे अधिक सम्मान देते हो। तुम माँस के उस सर्वोत्तम भाग से मोटे हुए हो जिसे इस्राएल के लोग मेरे लिये लाते हैं।’ 
30 “इस्राएल के परमेश्वर यहोवा ने यह वचन दिया था कि तुम्हारे पिता का परिवार ही सदा उसकी सेवा करेगा। किन्तु अब यहोवा यह कहता है, ‘वैसा कभी नहीं होगा! मैं उन लोगों का सम्मान करूँगा जो मेरा सम्मान करेंगे। किन्तु उनका बुरा होगा जो मेरा सम्मान करने से इनकार करते हैं। 
31 वह समय आ रहा है जब मैं तुम्हारे सारे वंशजों को नष्ट कर दूँगा। तुम्हारे परिवार में कोई बूढ़ा होने के लिये नहीं बचेगा। 
32 इस्राएल के लिये अच्छी चीजें होंगी, किन्तु तुम घर में बुरी घटनाऐं होती देखोगे। तुम्हारे परिवार में कोई भी बूढ़ा होने के लिये नहीं बचेगा। 
33 केवल एक व्यक्ति को मैं अपनी वेदी पर याजक के रुप में सेवा के लिये बचाऊँगा। वह बहुत अधिक बुढ़ापे तक रहेगा। वह तब तक जीवित रहेगा जब तक उसकी आँखे और उसकी शक्ति बची रहेगी। तुम्हारे शेष वंशज तलवार के घाट उतारे जाएंगे। 
34 मैं तुम्हें एक संकेत दूँगा जिससे यह ज्ञात होगा कि ये बातें सच होंगी। तुम्हारे दोनों पुत्र होप्नी और पीनहास एक ही दिन मरेंगे। 
35 मैं अपने लिये एक विश्वसनीय याजक ठहरऊँगा। वह याजक मेरी बात मानेगा और जो मैं चाहता हूँ, करेगा। मैं इस याजक के परिवार को शक्तिशाली बनाऊँगा। वह सदा मेरे अभिषिक्त राजा के सामने सेवा करेगा। 
36 तब सभी लोग जो तुम्हारे परिवार में बचे रहेंगे, आएंगे और इस याजक के आगे झुकेंगे। ये लोग थोड़े धन या रोटी के टुकड़े के लिए भीख मागेंगे। वे कहेंगे, “कृपया याजक का सेवा कार्य हमें दे दो जिससे हम भोजन पा सकें।”’” 
* 2:1: शक्तिमती “यहोवा की उपासना में मेरा सिंगा ऊँचा उठा है।” सिंगा शक्ति का प्रतीक है।
† 2:2: आश्रय शिला परमेश्वर के लिये एक नाम। यह बताता है कि वह किले या सुरक्षा के दृढ़ स्थान की तरह है।
‡ 2:16: पहले चर्बी जलाओ चर्बी जानवर का वह भाग थी जो परमेश्वर का था। याजकों से आशा की जाती थी कि वे परमेश्वर की भेंट के रुप में उसे वेदी में जलायें।
