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दाऊद का एक भाव गीत: जिसे उसने यहोवा के लिये गाया। यह भाव गीत बिन्यामीन परिवार समूह के कीश के पुत्र शाऊल के विषय मे है। 
1 हे मेरे यहोवा परमेश्वर, मुझे तुझ पर भरोसा है। 
उन व्यक्तियों से तू मेरी रक्षा कर, जो मेरे पीछे पड़े हैं। मुझको तू बचा ले। 
2 यदि तू मुझे नहीं बचाता तो मेरी दशा उस निरीह पशु की सी होगी, जिसे किसी सिंह ने पकड़ लिया है। 
वह मुझे घसीट कर दूर ले जायेगा, कोई भी व्यक्ति मुझे नहीं बचा पायेगा। 
3 हे मेरे यहोवा परमेश्वर, कोई पाप करने का मैं दोषी नहीं हूँ। मैंने तो कोई भी पाप नहीं किया। 
4 मैंने अपने मित्रों के साथ बुरा नहीं किया 
और अपने मित्र के शत्रुओं की भी मैंने सहायता नहीं किया। 
5 किन्तु एक शत्रु मेरे पीछे पड़ा हुआ है। 
वह मेरी हत्या करना चाहता है। 
वह शत्रु चाहता है कि मेरे जीवन को धरती पर रौंद डाले और मेरी आत्मा को धूल में मिला दे। 
6 यहोवा उठ, तू अपना क्रोध प्रकट कर। 
मेरा शत्रु क्रोधित है, सो खड़ा हो जा और उसके विरुद्ध युद्ध कर। 
खड़ा हो जा और निष्यक्षता की माँग कर। 
7 हे यहोवा, लोगों का न्याय कर। 
अपने चारों ओर राष्ट्रों को एकत्र कर और लोगों का न्याय कर। 
8 हे यहोवा, न्याय कर मेरा, 
और सिद्ध कर कि मैं न्याय संगत हूँ। 
ये प्रमाणित कर दे कि मैं निर्दोष हूँ। 
9 दुर्जन को दण्ड दे 
और सज्जन की सहायता कर। 
हे परमेश्वर, तू उत्तम है। 
तू अन्तर्यामी है। तू तो लोगों के ह्रदय में झाँक सकता है। 
10 जिन के मन सच्चे हैं, परमेश्वर उन व्यक्तियों की सहायता करता है। 
इसलिए वह मेरी भी सहायता करेगा। 
11 परमेश्वर उत्तम न्यायकर्ता है। 
वह कभी भी अपना क्रोध प्रकट कर देगा। 
12-13 परमेश्वर जब कोई निर्णय ले लेता है, 
तो फिर वह अपना मन नहीं बदलता है। 
उसमें लोगों को दण्डित करने की क्षमता है। 
उसने मृत्यु के सब सामान साथ रखे हैं। 
14 कुछ ऐसे लोग होते हैं जो सदा कुकर्मों की योजना बनाते रहते हैं। 
ऐसे ही लोग गुप्त षड़यन्त्र रचते हैं, 
और मिथ्या बोलते हैं। 
15 वे दूसरे लोगों को जाल में फँसाने और हानि पहुँचाने का यत्न करते हैं। 
किन्तु अपने ही जाल में फँस कर वे हानि उठायेंगे। 
16 वे अपने कर्मों का उचित दण्ड पायेंगे। 
वे अन्य लोगों के साथ क्रूर रहे। 
किन्तु जैसा उन्हें चाहिए वैसा ही फल पायेंगे। 
17 मैं यहोवा का यश गाता हूँ, क्योंकि वह उत्तम है। 
मैं यहोवा के सर्वोच्च नाम की स्तुति करता हूँ। 
