94
1 हे यहोवा, तू ही एक परमेश्वर है जो लोगों को दण्ड देता है। 
तू ही एक परमेश्वर है जो आता है और लोगों के लिये दण्ड लाता है। 
2 तू ही समूची धरती का न्यायकर्ता है। 
तू अभिमानी को वह दण्ड देता है जो उसे मिलना चाहिए। 
3 हे यहोवा, दुष्ट जन कब तक मजे मारते रहेंगे 
उन बुरे कर्मो की जो उन्होंने किये हैं। 
4 वे अपराधी कब तक डींग मारते रहेंगे 
उन बुरे कर्मो को जो उन्होंने किये हैं। 
5 हे यहोवा, वे लोग तेरे भक्तों को दु:ख देते हैं। 
वे तेरे भक्तों को सताया करते हैं। 
6 वे दुष्ट लोग विधवाओं और उन अतिथियों की जो उनके देश में ठहरे हैं, हत्या करते हैं। 
वे उन अनाथ बालकों की जिनके माता पिता नहीं हैं हत्या करते हैं। 
7 वे कहा करते हैं, यहोवा उनको बुरे काम करते हुए देख नहीं सकता। 
और कहते हैं, इस्राएल का परमेश्वर उन बातों को नहीं समझता है, जो घट रही हैं। 
8 अरे ओ दुष्ट जनों तुम बुद्धिहीन हो। 
तुम कब अपना पाठ सीखोगे 
अरे ओ दुर्जनों तुम कितने मूर्ख हो! 
तुम्हें समझने का जतन करना चाहिए। 
9 परमेश्वर ने हमारे कान बनाएँ हैं, और निश्चय ही उसके भी कान होंगे। 
सो वह उन बातों को सुन सकता है, जो घटिन हो रहीं हैं। 
परमेश्वर ने हमारी आँखें बनाई हैं, सो निश्चय ही उसकी भी आँख होंगी। 
सो वह उन बातों को देख सकता है, जो घटित हो रही है। 
10 परमेश्वर उन लोगों को अनुशासित करेगा। 
परमेश्वर उन लोगों को उन सभी बातों की शिक्षा देगा जो उन्हें करनी चाहिए। 
11 सो जिन बातों को लोग सोच रहे हैं, परमेश्वर जानता है, 
और परमेश्वर यह जानता है कि लोग हवा की झोंके हैं। 
12 वह मनुष्य जिसको यहोवा सुधारता, अति प्रसन्न होगा। 
परमेश्वर उस व्यक्ति को खरी राह सिखायेगा। 
13 हे परमेश्वर, जब उस जन पर दु:ख आयेंगे तब तू उस जन को शांत होने में सहायक होगा। 
तू उसको शांत रहने में सहायता देगा जब तक दुष्ट लोग कब्र में नहीं रख दिये जायेंगे। 
14 यहोवा निज भक्तों को कभी नहीं त्यागेगा। 
वह बिन सहारे उसे रहने नहीं देगा। 
15 न्याय लौटेगा और अपने साथ निष्पक्षता लायेगा, 
और फिर लोग सच्चे होंगे और खरे बनेंगे। 
16 मुझको दुष्टों के विरूद्ध युद्ध करने में किसी व्यक्ति ने सहारा नहीं दिया। 
कुकर्मियों के विरूद्ध युद्ध करने में किसी ने मेरा साथ नहीं दिया। 
17 यदि यहोवा मेरा सहायक नहीं होता, 
तो मुझे शब्द हीन (चुपचुप) होना पड़ता। 
18 मुझको पता है मैं गिरने को था, 
किन्तु यहोवा ने भक्तों को सहारा दिया। 
19 मैं बहुत चिंतित और व्याकुल था, 
किन्तु यहोवा तूने मुझको चैन दिया और मुझको आनन्दित किया। 
20 हे यहोवा, तू कुटिल न्यायाधीशों की सहायता नहीं करता। 
वे बुरे न्यायाधीश नियम का उपयोग लोगों का जीवन कठिन बनाने में करते हैं। 
21 वे न्यायाधीश सज्जनों पर प्रहार करते हैं। 
वे कहते हैं कि निर्दोष जन अपराधी हैं। और वे उनको मार डालते हैं। 
22 किन्तु यहोवा ऊँचे पर्वत पर मेरा सुरक्षास्थल है, 
परमेश्वर मेरी चट्टान और मेरा शरणस्थल है। 
23 परमेश्वर उन न्यायाधीशों को उनके बुरे कामों का दण्ड देगा। 
परमेश्वर उनको नष्ट कर देगा। क्योंकि उन्होंने पाप किया है। 
हमारा परमेश्वर यहोवा उन दुष्ट न्यायाधीशों को नष्ट कर देगा। 
